World Children's Day 2021: Create Stories: येस यू कैन विषय पर अवि शर्मा , अथर्व वर्मा और गुरुबक्स सिंह ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किये
येस यू कैन विषय पर अवि शर्मा , अथर्व वर्मा और गुरुबक्स सिंह ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किये
वही फील्ड चुने जो आपको अच्छी लगती है क्यूंकि कोई काम छोटा नही होता बस पेशेंस रखेंगे तो उसका फल हमे अच्छा ही मिलेगा
इंदौर
येस यू कैन विषय पर क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित सेशन में शहर के ही 12 साल के अवि शर्मा , 15 साल के अथर्व वर्मा एवं 13 साल के गुरुबक्स सिंह ने अपने कुछ रियल लाइफ एक्सपीरियंस शेयर किए । संचालन दीपक शर्मा ने किया ।
इनकी जिंदगी के कुछ एक्सपीरियंस इन्ही के शब्दों में –
लाइफ में चैलेंज से डरे नहीं आगे बढे - अवि शर्मा
अवि शर्मा , 12 वर्ष – जब मैं ढाई साला का था और जैसा मम्मी बताती है मैं तुतलती भाषा में सभी श्लोक बोल देता था एवं जीके के सवाल भी मेरे को आ जाते थे तो इन सबका क्रेडिट मेरे पेरेंट्स को जाता है क्योंकि जो मैं आज हूं उन्ही के ट्रस्ट की वजह से हूं । आज मैं एक एंकर , एक्टर , स्टोरीटेलर , वैदिक मैथ्स का यंगेस्ट मेंटर हूं मैं पूरे भारत का यंगेस्ट न्यूज एंकर भी हूं । लॉकडाउन में मैंने तकरीबन 150 से ज्यादा बच्चों को निः शुल्क वैदिक मैथ्स भी पढ़ाया क्योंकि मेरे अंदर अगर कुछ है और वो मैं शेयर कर पाऊं तो उससे ज्यादा खुशी कुछ नही होती क्योंकि आजकल लोग खुद के अंदर का ज्ञान दूसरों को देने में कतराते है । आज मेरे को काफी अवार्ड्स मिले है लेकिन इन सब के पीछे मै बताऊंगा की मेरे लाइफ में काफी सारे क्रिटिसिजम आए चाहे वो मेरी हेल्थ हो या मेरा ज्ञान या मेरी उम्र , लेकिन मैं आगे बढ़ा इन क्रिटिसिजम के कारण क्योंकि मेरा मानना है क्रिटिसिजम से हमे डरना नहीं , सामना करना चाहिए और सीखना चाहिए । कभी भी आपको कोई मैसेज मिलना होगा आगे बढ़ने के लिए तो वो प्रशंशको से नही मिलेगा क्रिटिसिजम के जरिए ही मिलेगा । लाइफ में काफी चैलेंज भी आए लेकिन मैं कभी डरा नही बस आगे बढ़ता गया । वही फील्ड चुने जो आपको अच्छी लगती है , क्यूंकि जो आप कार्य अपने दिल से करते है वहीँ आप सफल हो सकते है ।
सोच बदले क्यूंकि कोई भी काम छोटा नहीं होता - अथर्व वर्मा
अथर्व वर्मा , 15 वर्ष – मेरे पेरेंट्स डॉक्टर है और अगर मैं लॉकडाउन का किस्सा सुनाऊं तो वो मुझे टाइम नही दे पाते थे तो एक दिन मम्मी ने खाना बनाने में हेल्प मांगी और उस दिन कुकिंग में मेरा इंटरेस्ट उसमे जागा और फिर जब मैने खुद से कुछ डिश बनाई और पापा ने भी तारीफ करी तब मेरा इंटरेस्ट जागा क्यूंकि पेरेंट्स ने सदैव मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाया और मैं खुद नई नई डिशेज अब बना लेता हूं । साथ ही लॉकडाउन में मैं घर पर बैठा रहता था तो दादी ने बोला मेरी गार्डनिंग में हेल्प करने को तो मैने की फिर मेरा वहां भी इंटरेस्ट जागा और मैंने कुछ पौधे लगाए और परिणाम अच्छे मिले तो मैने और लगाए और अब मैंने अपने घर की छत रूफटॉप गार्डन बना लिया वहां पे सब्जियां , कुछ रेयर प्लांट्स आदि लगाए है और केयर करता हूं । मैं सबसे यहीं कहना चाहूँगा की हमारा इंटरेस्ट हमे तब पता चलता है जब हम कुछ नया करे , सीखे और हमे उसको पाने की जिद हो । मैं कहना चाहूंगा की कोई भी काम चाहे गार्डननिंग या खाना बनाना छोटा काम नहीं होता , फर्क सिर्फ सीखने के जुनून का है और मैंने लॉकडाउन में गेम्स और स्क्रीन टाइम को साइड में रखकर ये सीखा क्योंकि मेरे को कुछ नया सीखना था समय का सदुपयोग करना था जो मैंने किया । आज अगर मैं बात करूं को इन सब को सीखने के बाद मेरा सेल्फ कॉन्फिडेंस और कंसंट्रेशन अंदर से बढ़ा है और जो कार्य आप खुद करते है उससे आपका कॉन्फिडेंस और पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती ही है ।
पेशेंस रखेंगे तो उसका फल हमे अच्छा ही मिलेगा - गुरुबक्स सिंह
गुरुबक्स सिंह , 13 साल – मैं ऑर्गेनिक फार्मिंग करता हूं और इसकी प्रेरणा मुझे तब मिली जब मेरी एक बुआ को ब्रेन ट्यूमर हुआ और फिर कैंसर हो गया । उसके बाद मैने सोचा की ये क्यूं होता है और पाया की ये सब्जियों में डलने वाले रसायनों के कारण होती है तो अगर इन सब्जियों में ये रसायन नहीं डालेंगे तो इन बड़ी बीमारियों से लोग बच पाएंगे । तब से मैने ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की और मेरे पेरेंट्स मुझे पूरा सपोर्ट करते है और समय समय पर मोटिवेट भी करते है । मेरी गलती पर माफ कर मुझे समझाते है और मैं समझता भी हूं और मेरे लिए वे खुद भी नई नई चीज़ें सीखते है ताकि मैं अपना बेस्ट कर पाऊं । पेरेंट्स मेरे पे प्रेशर नही करते बल्कि मेरे को जो करना है उसको सपोर्ट करते है और फिर वो काम मैं खुद दिल से करता हूं जिसके परिणाम भी अच्छे मिलते है । तो मैं बस ये कहूंगा कि आप भी वो कार्य करें जिसे आपको करने से दिल से खुशी मिले और जो भी कार्य करें उसमे पेशेंस जरूर रखें । अगर हम किसी भी चीज़ में पेशेंस रखेंगे तो उसका फल हमे अच्छा ही मिलेगा ।
वही फील्ड चुने जो आपको अच्छी लगती है क्यूंकि कोई काम छोटा नही होता बस पेशेंस रखेंगे तो उसका फल हमे अच्छा ही मिलेगा
इंदौर
येस यू कैन विषय पर क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित सेशन में शहर के ही 12 साल के अवि शर्मा , 15 साल के अथर्व वर्मा एवं 13 साल के गुरुबक्स सिंह ने अपने कुछ रियल लाइफ एक्सपीरियंस शेयर किए । संचालन दीपक शर्मा ने किया ।
इनकी जिंदगी के कुछ एक्सपीरियंस इन्ही के शब्दों में –
लाइफ में चैलेंज से डरे नहीं आगे बढे - अवि शर्मा
अवि शर्मा , 12 वर्ष – जब मैं ढाई साला का था और जैसा मम्मी बताती है मैं तुतलती भाषा में सभी श्लोक बोल देता था एवं जीके के सवाल भी मेरे को आ जाते थे तो इन सबका क्रेडिट मेरे पेरेंट्स को जाता है क्योंकि जो मैं आज हूं उन्ही के ट्रस्ट की वजह से हूं । आज मैं एक एंकर , एक्टर , स्टोरीटेलर , वैदिक मैथ्स का यंगेस्ट मेंटर हूं मैं पूरे भारत का यंगेस्ट न्यूज एंकर भी हूं । लॉकडाउन में मैंने तकरीबन 150 से ज्यादा बच्चों को निः शुल्क वैदिक मैथ्स भी पढ़ाया क्योंकि मेरे अंदर अगर कुछ है और वो मैं शेयर कर पाऊं तो उससे ज्यादा खुशी कुछ नही होती क्योंकि आजकल लोग खुद के अंदर का ज्ञान दूसरों को देने में कतराते है । आज मेरे को काफी अवार्ड्स मिले है लेकिन इन सब के पीछे मै बताऊंगा की मेरे लाइफ में काफी सारे क्रिटिसिजम आए चाहे वो मेरी हेल्थ हो या मेरा ज्ञान या मेरी उम्र , लेकिन मैं आगे बढ़ा इन क्रिटिसिजम के कारण क्योंकि मेरा मानना है क्रिटिसिजम से हमे डरना नहीं , सामना करना चाहिए और सीखना चाहिए । कभी भी आपको कोई मैसेज मिलना होगा आगे बढ़ने के लिए तो वो प्रशंशको से नही मिलेगा क्रिटिसिजम के जरिए ही मिलेगा । लाइफ में काफी चैलेंज भी आए लेकिन मैं कभी डरा नही बस आगे बढ़ता गया । वही फील्ड चुने जो आपको अच्छी लगती है , क्यूंकि जो आप कार्य अपने दिल से करते है वहीँ आप सफल हो सकते है ।
सोच बदले क्यूंकि कोई भी काम छोटा नहीं होता - अथर्व वर्मा
अथर्व वर्मा , 15 वर्ष – मेरे पेरेंट्स डॉक्टर है और अगर मैं लॉकडाउन का किस्सा सुनाऊं तो वो मुझे टाइम नही दे पाते थे तो एक दिन मम्मी ने खाना बनाने में हेल्प मांगी और उस दिन कुकिंग में मेरा इंटरेस्ट उसमे जागा और फिर जब मैने खुद से कुछ डिश बनाई और पापा ने भी तारीफ करी तब मेरा इंटरेस्ट जागा क्यूंकि पेरेंट्स ने सदैव मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाया और मैं खुद नई नई डिशेज अब बना लेता हूं । साथ ही लॉकडाउन में मैं घर पर बैठा रहता था तो दादी ने बोला मेरी गार्डनिंग में हेल्प करने को तो मैने की फिर मेरा वहां भी इंटरेस्ट जागा और मैंने कुछ पौधे लगाए और परिणाम अच्छे मिले तो मैने और लगाए और अब मैंने अपने घर की छत रूफटॉप गार्डन बना लिया वहां पे सब्जियां , कुछ रेयर प्लांट्स आदि लगाए है और केयर करता हूं । मैं सबसे यहीं कहना चाहूँगा की हमारा इंटरेस्ट हमे तब पता चलता है जब हम कुछ नया करे , सीखे और हमे उसको पाने की जिद हो । मैं कहना चाहूंगा की कोई भी काम चाहे गार्डननिंग या खाना बनाना छोटा काम नहीं होता , फर्क सिर्फ सीखने के जुनून का है और मैंने लॉकडाउन में गेम्स और स्क्रीन टाइम को साइड में रखकर ये सीखा क्योंकि मेरे को कुछ नया सीखना था समय का सदुपयोग करना था जो मैंने किया । आज अगर मैं बात करूं को इन सब को सीखने के बाद मेरा सेल्फ कॉन्फिडेंस और कंसंट्रेशन अंदर से बढ़ा है और जो कार्य आप खुद करते है उससे आपका कॉन्फिडेंस और पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती ही है ।
पेशेंस रखेंगे तो उसका फल हमे अच्छा ही मिलेगा - गुरुबक्स सिंह
गुरुबक्स सिंह , 13 साल – मैं ऑर्गेनिक फार्मिंग करता हूं और इसकी प्रेरणा मुझे तब मिली जब मेरी एक बुआ को ब्रेन ट्यूमर हुआ और फिर कैंसर हो गया । उसके बाद मैने सोचा की ये क्यूं होता है और पाया की ये सब्जियों में डलने वाले रसायनों के कारण होती है तो अगर इन सब्जियों में ये रसायन नहीं डालेंगे तो इन बड़ी बीमारियों से लोग बच पाएंगे । तब से मैने ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की और मेरे पेरेंट्स मुझे पूरा सपोर्ट करते है और समय समय पर मोटिवेट भी करते है । मेरी गलती पर माफ कर मुझे समझाते है और मैं समझता भी हूं और मेरे लिए वे खुद भी नई नई चीज़ें सीखते है ताकि मैं अपना बेस्ट कर पाऊं । पेरेंट्स मेरे पे प्रेशर नही करते बल्कि मेरे को जो करना है उसको सपोर्ट करते है और फिर वो काम मैं खुद दिल से करता हूं जिसके परिणाम भी अच्छे मिलते है । तो मैं बस ये कहूंगा कि आप भी वो कार्य करें जिसे आपको करने से दिल से खुशी मिले और जो भी कार्य करें उसमे पेशेंस जरूर रखें । अगर हम किसी भी चीज़ में पेशेंस रखेंगे तो उसका फल हमे अच्छा ही मिलेगा ।
Comments
Post a Comment