Create Stories Indore: Dr Abhyudaya Verma हार्मोनल इम्बैलेंस इन किड्स विषय पर विशेषज्ञ डॉ अभ्युदय वर्मा ने चर्चा की
इंदौर
हार्मोनल इम्बैलेंस इन किड्स विषय पर कार्यक्रम का आयोजन क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा ट्रेजर टाऊन में किया गया जिसमे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने सभी पेरेंट्स और किड्स से चर्चा की ।
हार्मोन्स विशेषज्ञ डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया की हार्मोन्स के संतुलन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी का असर फौरन हमारी भूख, नींद और तनाव के स्तर पर दिखने लगता है । असंतुलन से अर्थ है कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बनता है या फिर बहुत कम । इस लॉकडाउन में टीनेजर्स पर इसका काफी असर पड़ा है क्यूंकि उनकी एक्टिविटीज काफी कम हो गयीं है , फिजिकल एक्टिविटी कम हुई है , खान पान सुधरा है मगर ओवरईटिंग भी बढ़ी है । इस उम्र में बच्चो में काफी एनर्जी रहती है मगर इस बार वह एनर्जी यूज़ नही हो पाई । टीनेजर्स एक बहुत सेंसिटिव ऐज रहती है इस समय हार्मोन्स बढ़ते है और इस टीनएज में अगर फिजिकल एक्टिविटी या फिजिकल सिस्टम सही नही रहे तो वो हार्मोन्स पर भी विपरीत असर डालता है ।
इन उतार चडाव के कारण लड़के या तो डिप्रेशन में जा रहे है या काफी एग्रेसिव हो रहे है और क्यूंकि वे हार्मोनल चेंजेस एक्सेप्ट नही कर पा रहे है । गर्ल्स में काफी ज्यदा हार्मोनल डिसऑर्डर होते है जैसे मासिक धर्म की समस्या , वजन बढ़ना , स्ट्रेस आदि । हमारे शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन होता है, जो हमें किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है । इसी हार्मोन की वजह से दिल की धड़कन, रक्तचाप और रक्त में शर्करा का स्तर कई बार बढ़ जाता है ।
डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया की टीनेजर्स में हार्मोनल इम्बेलेंस की बात करे तो जहाँ महीने में पहले 4 मेरे पास मरीज आया करते थे वे अब 8 से ज्यदा हो गये है मतलब डबल । टीनेजर्स यानी 13 से 19 साल के बीच के बच्चे । यह एक बहुत महत्वपूर्ण स्टेज है जब बच्चों में काफी सारे हार्मोनल चेंजेस होते है , बॉडी में सडन ग्रोथ होती है , उनका मेंटल और फिजिकल चेंज , सोचने समझने का तरीका बदल जाता है । यह एक बदलाव का फेज होता है जब वो बचपने से बड़ों की श्रेणी में जाते है और दुनिया को समझने की एबिलिटी डेवलप करते है ।
एक ताजा शोध में मोबाइल फोन या स्क्रीन के इस्तेमाल से कार्टिसोल के बढ़ते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित होते हैं , जिससे निर्णय लेने और तार्किक क्षमता पर असर पड़ता है और अब लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी हम स्क्रीन पर ही डिपेंड हो गये है चाहे वो काम हो पढाई हो या एंटरटेनमेंट ।
अब तक यही समझा जाता रहा है कि हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से मूड में उतार-चढ़ाव, सूजन, छोटा कद, दुबलापन, मेटाबॉलिज्म में असंतुलन और मुंहासे आदि समस्याएं होती हैं । पर वास्तव में हार्मोन्स सभी शारीरिक एवं मानसिक गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं एवं हार्मोनल इम्बेलेंस किसी भी उम्र में अब देखा जा रहा है जिसका मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली ।
हार्मोनल इम्बेलेंस के लक्षण है अकारण वजन बढ़ना , हर समय थकान महसूस करना , नींद न आना या बिलकुल नींद न आना , तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन का बढ़ना , अत्यधिक पसीना आना , बालों का झड़ना, असमय सफेद होना तथा दाढ़ी घनी ना आना इत्यादि ।
हार्मोन असंतुलन होने का सबसे बड़ा कारण असंतुलित जीवनशैली है जैसे प्राकृतिक आहार न लेकर उसकी जगह जंक फूड, डिब्बाबंद या प्रिजरवेटिव युक्त आहार का सेवन अधिक करना , अपर्याप्त नींद , अत्यधिक तनाव में रहना , समय से भोजन न करना , व्यायाम एवं खेल-कूल जैसी शारीरिक गतिविधियों से दूर रहना ।
हार्मोनल असंतुलन से बचाव
· जीवनशैली को नियंत्रित करें
· पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें एवं समय पर भोजन करने की आदत डालें
· पर्याप्त भोजन के अतिरिक्त ताजा फलों का भी सेवन जरुर करें
· पर्याप्त नींद लें 6-7 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए
· अपनी दिनचर्या में व्यायाम एवं प्राणायाम को भी जगह दें
· अधिक से अधिक खुश रहने की कोशिश करें क्योंकि तनाव के कारण हार्मोन्स में असंतुलन आता है
पेरेंट्स क्या करें
· सबसे खास है उनके लिए क्वालिटी वक्त निकालिए
· दोस्त बन उन्हें सुने एवं कॉन्फिडेंस में लें
· तकलीफों को समझे
· मेंटल या फिजिकल समस्या समझिये
· उनकी साइकॉलजी समझिये
· डेली रूटीन ओब्ज़र्व नेचर ओब्ज़र्व करिए
· अकेला न रहने दे
हार्मोनल इम्बैलेंस इन किड्स विषय पर कार्यक्रम का आयोजन क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा ट्रेजर टाऊन में किया गया जिसमे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने सभी पेरेंट्स और किड्स से चर्चा की ।
हार्मोन्स विशेषज्ञ डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया की हार्मोन्स के संतुलन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी का असर फौरन हमारी भूख, नींद और तनाव के स्तर पर दिखने लगता है । असंतुलन से अर्थ है कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बनता है या फिर बहुत कम । इस लॉकडाउन में टीनेजर्स पर इसका काफी असर पड़ा है क्यूंकि उनकी एक्टिविटीज काफी कम हो गयीं है , फिजिकल एक्टिविटी कम हुई है , खान पान सुधरा है मगर ओवरईटिंग भी बढ़ी है । इस उम्र में बच्चो में काफी एनर्जी रहती है मगर इस बार वह एनर्जी यूज़ नही हो पाई । टीनेजर्स एक बहुत सेंसिटिव ऐज रहती है इस समय हार्मोन्स बढ़ते है और इस टीनएज में अगर फिजिकल एक्टिविटी या फिजिकल सिस्टम सही नही रहे तो वो हार्मोन्स पर भी विपरीत असर डालता है ।
इन उतार चडाव के कारण लड़के या तो डिप्रेशन में जा रहे है या काफी एग्रेसिव हो रहे है और क्यूंकि वे हार्मोनल चेंजेस एक्सेप्ट नही कर पा रहे है । गर्ल्स में काफी ज्यदा हार्मोनल डिसऑर्डर होते है जैसे मासिक धर्म की समस्या , वजन बढ़ना , स्ट्रेस आदि । हमारे शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन होता है, जो हमें किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है । इसी हार्मोन की वजह से दिल की धड़कन, रक्तचाप और रक्त में शर्करा का स्तर कई बार बढ़ जाता है ।
डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया की टीनेजर्स में हार्मोनल इम्बेलेंस की बात करे तो जहाँ महीने में पहले 4 मेरे पास मरीज आया करते थे वे अब 8 से ज्यदा हो गये है मतलब डबल । टीनेजर्स यानी 13 से 19 साल के बीच के बच्चे । यह एक बहुत महत्वपूर्ण स्टेज है जब बच्चों में काफी सारे हार्मोनल चेंजेस होते है , बॉडी में सडन ग्रोथ होती है , उनका मेंटल और फिजिकल चेंज , सोचने समझने का तरीका बदल जाता है । यह एक बदलाव का फेज होता है जब वो बचपने से बड़ों की श्रेणी में जाते है और दुनिया को समझने की एबिलिटी डेवलप करते है ।
एक ताजा शोध में मोबाइल फोन या स्क्रीन के इस्तेमाल से कार्टिसोल के बढ़ते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित होते हैं , जिससे निर्णय लेने और तार्किक क्षमता पर असर पड़ता है और अब लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी हम स्क्रीन पर ही डिपेंड हो गये है चाहे वो काम हो पढाई हो या एंटरटेनमेंट ।
अब तक यही समझा जाता रहा है कि हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से मूड में उतार-चढ़ाव, सूजन, छोटा कद, दुबलापन, मेटाबॉलिज्म में असंतुलन और मुंहासे आदि समस्याएं होती हैं । पर वास्तव में हार्मोन्स सभी शारीरिक एवं मानसिक गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं एवं हार्मोनल इम्बेलेंस किसी भी उम्र में अब देखा जा रहा है जिसका मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली ।
हार्मोनल इम्बेलेंस के लक्षण है अकारण वजन बढ़ना , हर समय थकान महसूस करना , नींद न आना या बिलकुल नींद न आना , तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन का बढ़ना , अत्यधिक पसीना आना , बालों का झड़ना, असमय सफेद होना तथा दाढ़ी घनी ना आना इत्यादि ।
हार्मोन असंतुलन होने का सबसे बड़ा कारण असंतुलित जीवनशैली है जैसे प्राकृतिक आहार न लेकर उसकी जगह जंक फूड, डिब्बाबंद या प्रिजरवेटिव युक्त आहार का सेवन अधिक करना , अपर्याप्त नींद , अत्यधिक तनाव में रहना , समय से भोजन न करना , व्यायाम एवं खेल-कूल जैसी शारीरिक गतिविधियों से दूर रहना ।
हार्मोनल असंतुलन से बचाव
· जीवनशैली को नियंत्रित करें
· पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें एवं समय पर भोजन करने की आदत डालें
· पर्याप्त भोजन के अतिरिक्त ताजा फलों का भी सेवन जरुर करें
· पर्याप्त नींद लें 6-7 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए
· अपनी दिनचर्या में व्यायाम एवं प्राणायाम को भी जगह दें
· अधिक से अधिक खुश रहने की कोशिश करें क्योंकि तनाव के कारण हार्मोन्स में असंतुलन आता है
पेरेंट्स क्या करें
· सबसे खास है उनके लिए क्वालिटी वक्त निकालिए
· दोस्त बन उन्हें सुने एवं कॉन्फिडेंस में लें
· तकलीफों को समझे
· मेंटल या फिजिकल समस्या समझिये
· उनकी साइकॉलजी समझिये
· डेली रूटीन ओब्ज़र्व नेचर ओब्ज़र्व करिए
· अकेला न रहने दे
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