Indore: मीडिया जनसरोकारों से दूर हो रहा है: मक़सूद खान मीडिया समाज का वाचडॉग है तो उसके काम की मॉनिटरिंग हो: भावना पाठक: प्रेस्टीज मीडिया संस्थान द्वारा ``न्यूज़ मीडिया में बदलते ट्रेंड्स पर' चर्चा का आयोजन
मीडिया जनसरोकारों से दूर हो रहा है: मक़सूद खान
मीडिया समाज का वाचडॉग है तो उसके काम की मॉनिटरिंग हो: भावना पाठक
प्रेस्टीज मीडिया संस्थान द्वारा ``न्यूज़ मीडिया में बदलते ट्रेंड्स पर' चर्चा का आयोजन
इंदौर: ज़्यादातर मीडिया सोशल मीडिया पर ही ट्रेंडिंग स्टोरी का पैकेज बना कर उसे टेलीकास्ट कर देता है, ऑनग्राउंड रिपोर्टिंग घटी है। न्यूज़ मीडिया इंडस्ट्री अब ख़बरों को ग्राफ़िक्स, विज़ुअल्स, कसी हुई स्क्रिप्ट से सजाकर लोगों को परोसती है ताकि दर्शक उसे नज़रअंदाज़ न कर सकें। लगभग हर मीडिया कंपनी ने अपना मोबाइल एप लांच कर रखा है ताकि वो मोबाइल के ज़रिये लोगों तक आसानी से पहुंच सकें। यह बात न्यूज़ नेशन समाचार चैनल के न्यूज़ एंकर मोहम्मद मक़सूद खान ने प्रेस्टीज प्रबंधन शोध संस्थान के बी जे एम सी इलेक्ट्रॉइनिक मीडिया द्वारा आयोजित मीडिया मॉनिटर डिस्कशन फोरम में ``न्यूज़ मीडिया में बदलते ट्रेंड्स पर' चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा की आजकल पैकजिंग का ज़माना है इसलिए मीडिया असल मुद्दों पर बात नहीं करता, वो या तो आमजन को असल मुद्दों से भटकाता है या फिर उन मुद्दों को दरकिनार कर बेवजह के मुद्दों पर प्रायोजित बहसें कराने लगता है।
मीडिया के सरोकार बदल गए हैं। अब मीडिया मिशन नहीं इंडस्ट्री का रूप ले चुका है और इस इंडस्ट्री के मालिक बड़े बड़े राजनेता और बड़े -बड़े घराने हैं और उनके अपने अपने आर्थिक हित हैं। आजकल लोगों के पास इतना वक़्त नहीं कि वो बड़े बड़े वीडियो देखें या लम्बे लम्बे आलेख पढ़ें इसलिए अब न्यूज़ को छोटे छोटे कैप्सूल्स के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
खान ने कहा कि आज न्यूज़ प्रेजेंटेशन का स्टाइल और एंकर भी बड़ा ही ग्लॅमराइज़्ड हो गया है। मीडिया की विश्वसनीयता कम हो रही है क्योंकि यह (मीडिया) जनसरोकारों से दूर हो रहा है, असल मुद्दों से दूरी और दलगत राजनिति के पक्ष की पत्रकारिता मीडिया को कटघरे में खड़ा कर रही है।
मीडिया मॉनिटर की संयोजक प्रोफेसर भावना पाठक ने बताया की मीडिया मॉनिटर में हर हफ्ते मीडिया जगत से जुड़े मीडियकर्मियों, मीडिया शिक्षकों, मीडिया शोधार्थियों एवं कम्युनिटी मीडिया के लिए काम करने वाले लोगों को आमंत्रित किया जाता है ताकि मीडिया के विद्यार्थी मीडिया के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के अनुभवों से रूबरू हो सकें। मीडिया कैसे और कैसा काम कर रहा है और उसे किस ढंग से काम करने की आवश्यकता है इस पर मंथन ज़रूरी है और इसी उद्देश्य से ही मीडिया मॉनिटर का गठन किया गया है। प्रोफेसर पाठक ने कहा की मीडिया समाज का वाचडॉग माना जाता है तो उसके काम की भी मॉनिटरिंग होनी चाहिए, मीडिया मॉनिटर इसी दिशा में एक छोटी सी पहल है।
संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर आर के शर्मा ने कहा प्रेस्टीज हमेशा से ही प्रगतिशील रहा है और इस दिशा में हम मीडिया मॉनिटर का स्वागत करते हैं। बी जे एम सी इलेक्ट्रॉइनिक मीडिया के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर जुबेर खान ने बताया की मीडिया मॉनिटर में देश विदेश के किसी भी हिस्से से कोई भी भाग ले सकता है। इस बार उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, सागर, भोपाल, अजमेर समेत कई शहरों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
मीडिया समाज का वाचडॉग है तो उसके काम की मॉनिटरिंग हो: भावना पाठक
प्रेस्टीज मीडिया संस्थान द्वारा ``न्यूज़ मीडिया में बदलते ट्रेंड्स पर' चर्चा का आयोजन
इंदौर: ज़्यादातर मीडिया सोशल मीडिया पर ही ट्रेंडिंग स्टोरी का पैकेज बना कर उसे टेलीकास्ट कर देता है, ऑनग्राउंड रिपोर्टिंग घटी है। न्यूज़ मीडिया इंडस्ट्री अब ख़बरों को ग्राफ़िक्स, विज़ुअल्स, कसी हुई स्क्रिप्ट से सजाकर लोगों को परोसती है ताकि दर्शक उसे नज़रअंदाज़ न कर सकें। लगभग हर मीडिया कंपनी ने अपना मोबाइल एप लांच कर रखा है ताकि वो मोबाइल के ज़रिये लोगों तक आसानी से पहुंच सकें। यह बात न्यूज़ नेशन समाचार चैनल के न्यूज़ एंकर मोहम्मद मक़सूद खान ने प्रेस्टीज प्रबंधन शोध संस्थान के बी जे एम सी इलेक्ट्रॉइनिक मीडिया द्वारा आयोजित मीडिया मॉनिटर डिस्कशन फोरम में ``न्यूज़ मीडिया में बदलते ट्रेंड्स पर' चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा की आजकल पैकजिंग का ज़माना है इसलिए मीडिया असल मुद्दों पर बात नहीं करता, वो या तो आमजन को असल मुद्दों से भटकाता है या फिर उन मुद्दों को दरकिनार कर बेवजह के मुद्दों पर प्रायोजित बहसें कराने लगता है।
मीडिया के सरोकार बदल गए हैं। अब मीडिया मिशन नहीं इंडस्ट्री का रूप ले चुका है और इस इंडस्ट्री के मालिक बड़े बड़े राजनेता और बड़े -बड़े घराने हैं और उनके अपने अपने आर्थिक हित हैं। आजकल लोगों के पास इतना वक़्त नहीं कि वो बड़े बड़े वीडियो देखें या लम्बे लम्बे आलेख पढ़ें इसलिए अब न्यूज़ को छोटे छोटे कैप्सूल्स के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
खान ने कहा कि आज न्यूज़ प्रेजेंटेशन का स्टाइल और एंकर भी बड़ा ही ग्लॅमराइज़्ड हो गया है। मीडिया की विश्वसनीयता कम हो रही है क्योंकि यह (मीडिया) जनसरोकारों से दूर हो रहा है, असल मुद्दों से दूरी और दलगत राजनिति के पक्ष की पत्रकारिता मीडिया को कटघरे में खड़ा कर रही है।
मीडिया मॉनिटर की संयोजक प्रोफेसर भावना पाठक ने बताया की मीडिया मॉनिटर में हर हफ्ते मीडिया जगत से जुड़े मीडियकर्मियों, मीडिया शिक्षकों, मीडिया शोधार्थियों एवं कम्युनिटी मीडिया के लिए काम करने वाले लोगों को आमंत्रित किया जाता है ताकि मीडिया के विद्यार्थी मीडिया के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के अनुभवों से रूबरू हो सकें। मीडिया कैसे और कैसा काम कर रहा है और उसे किस ढंग से काम करने की आवश्यकता है इस पर मंथन ज़रूरी है और इसी उद्देश्य से ही मीडिया मॉनिटर का गठन किया गया है। प्रोफेसर पाठक ने कहा की मीडिया समाज का वाचडॉग माना जाता है तो उसके काम की भी मॉनिटरिंग होनी चाहिए, मीडिया मॉनिटर इसी दिशा में एक छोटी सी पहल है।
संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर आर के शर्मा ने कहा प्रेस्टीज हमेशा से ही प्रगतिशील रहा है और इस दिशा में हम मीडिया मॉनिटर का स्वागत करते हैं। बी जे एम सी इलेक्ट्रॉइनिक मीडिया के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर जुबेर खान ने बताया की मीडिया मॉनिटर में देश विदेश के किसी भी हिस्से से कोई भी भाग ले सकता है। इस बार उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, सागर, भोपाल, अजमेर समेत कई शहरों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
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