Indore: Create Stories: Dr Abhyudaya Verma “ मेनोपॉज़ ” विषय पर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने की चर्चा
इंदौर
“ मेनोपॉज़ ” विषय पर “ चेंज ऑफ़ लाइफ ” कार्यक्रम का आयोजन क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किया गया । इस ऑनलाइन सेमिनार में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने सभी को जानकारी दी ।
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया की एक महिला को जीवन में बहुत से शारीरिक बदलावों का सामना करना पड़ता है, उम्र के एक पड़ाव में वह खुद को मुक्त पाती है , तो दूजे में मासिक धर्म से रुबरु होती है । मासिक धर्म यानी की पीरियड्स की परेशानियों का सामना करते हुए वह इसके साथ सहज हो तो जाती है , लेकिन यह भी समय के साथ बदल जाता है । एक उम्र में उन्हें रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज़ का सामना करना होता है, यह फिर से उनके हार्मोन्स को बदलता है । मेनोपॉज होना नेचुरल है मतलब यह कोई बीमारी नहीं है ।
उस स्थिति को मेनोपॉज़ कहा जाता है जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है । इसे प्रजनन क्षमता का अंत माना जाता है । मेनोपॉज़ तब होता है, जब महिलाओं की ओवरी या अंडाशय में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हॉर्मोन बनने बंद हो जाते हैं । 10-12 महीनों से पीरियड्स का ना आना मेनोपॉज कहलाता है । मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कई तरह की परेशानी होने लगती हैं, जिससे महिलाओं की दिनचर्या प्रभावित होती है । कई बार मेनोपॉज से महिलाओं को गंभीर समस्या हो जाती है । ऐसा होने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए । साथ ही साथ मेनोपॉज के समय महिलाओं को कुछ परेशानियां हो सकती हैं । इसलिए उन्हें कुछ खास बातों का ध्यान भी रखना चाहिए ।
भारत में एवरेज उम्र मेनोपॉज़ की उम्र 45 से 48 साल तक के बीच की होती है, लेकिन बदलते लाइफस्टाइल ने उम्र की इस सीमा में भी बदलाव किए हैं । ऐसे में यह समझ पाना कि आप रजोनिवृत्ति की ओर तो नहीं बढ़ रही हैं पूरी तरह से इसके लक्षणों पर निर्भर करता है ।
एक शोध के अनुसार, समय से पहले मेनोपॉज़ महिला में स्तन कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है । आजकल बदलती लाइफस्टाइल या जीवनशैली के कारण मेनोपॉज़ कम उम्र में भी होने लगा है यानी 40 वर्ष से कम उम्र में होने लगा है जिसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज़ या प्रीमैच्योर ओवेरियन इनसफीसिएँसी बोलते है ये लगभग 15 परसेंट महिलाओं में देखने को आजकल मिल रहा है ।
समय से पहले मेनोपॉज़ के कारण है जैसे –
· ऑटो-इम्यून रोग - सिस्टमिक ल्यूपस एरीटामेटोसस, थायरॉइडाइटिस आदि विकार समय से पहले रजोनिवृत्ति का कारण बन सकते हैं ।
· कीमोथेरेपी , रेडियोथेरेपी - इन उपचारों के परिणामस्वरूप महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है, उनके गंभीर दुष्प्रभाव हैं और रजोनिवृत्ति उनमें से एक हो सकती है ।
· अंडाशय या गर्भाशय को हटाना - अंडाशय को हटाने और गर्भाशय को हटाने दोनों मासिक धर्म को समाप्त करते हैं और रजोनिवृत्ति का कारण बनते हैं ।
· पारिवारिक इतिहास - समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है अगर महिला के परिवार में कम उम्र में रजोनिवृत्ति का अनुभव करने का इतिहास है ।
· धूम्रपान - विषाक्त पदार्थों (तंबाकू) का सेवन एक कारण हो सकता है ।
· डायबिटीज - डायबिटिक महिलाएं समय से पहले मेनोपॉज का भी अनुभव कर सकती हैं ।
मेनोपॉज़ तीन स्टेज में देखने को मिलती है -
· पेरीमेनोपॉज़- मेनोपॉज़ के दो तीन साल पहले शुरू होता है जब होर्मोनेस धीरे धीरे कम होने लगते है जिसके वजह से शरीर में बदलाव आने लगते है ।
· मेनोपॉज़- जब एक साल तक पीरियड्स न आये ।
· पोस्ट मेनोपॉज़- बंद होने के बाद पोस्ट मेनोपॉज़ होता है मतलब चार पांच तक पोस्ट पोस्ट मेनोपॉज़ के लक्ष्ण बने रहते है ।
मेनोपॉज़ के लक्षण है जैसे मेंसेस इर्रेगुलारिटी , हॉट फ्लसेस , नाईट स्वेट , मूड स्विंग , वेट गेन , मेमोरी और कंसंट्रेशन कम होना , जोड़ो में दर्द , मसल मॉस कम होना , सामान्य तापमान में भी गर्मी लगना , नींद पूरी ना होना या नींद ना आना , चिड़चिड़ापन और चिंता होना , थकान , चक्कर आना , वजन का बढ़ना , यूरिन अधिक होना त्वचा का पतला होना और सिकुड़ना आदि और यदि इनमे से सब या दो तीन लक्षण भी दिखे मेंसेस इर्रेगुलारिटी के साथ तो आप समझिये की उस उम्र के साथ मेनोपॉज़ शुरू हो चुका है ज्यदा लक्षण दिखे या प्रॉब्लम हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।
मेनोपॉज के बाद इस तरह करें अपनी देखभाल – विटामिन डी और कैल्शियम का रेगुलर सेवन सही मात्रा में करें , रिलैक्स्ड रहे , संतुलित खान-पान , वजन का ध्यान रखिये , प्रोसेस्ड और तली-भुनी चीजों से बचें , सोने के एक घंटे पहले स्क्रीन न देखें , नशे से दूरी बनाए रखें , रोजाना कम से कम क्वालिटी आधा घंटा एक्सरसाइज करें , पूरी नींद लें , पानी खूब पिएं , मील को स्किप न करें , प्रोटीन रिच फूड का सेवन करें ।
“ मेनोपॉज़ ” विषय पर “ चेंज ऑफ़ लाइफ ” कार्यक्रम का आयोजन क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किया गया । इस ऑनलाइन सेमिनार में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने सभी को जानकारी दी ।
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया की एक महिला को जीवन में बहुत से शारीरिक बदलावों का सामना करना पड़ता है, उम्र के एक पड़ाव में वह खुद को मुक्त पाती है , तो दूजे में मासिक धर्म से रुबरु होती है । मासिक धर्म यानी की पीरियड्स की परेशानियों का सामना करते हुए वह इसके साथ सहज हो तो जाती है , लेकिन यह भी समय के साथ बदल जाता है । एक उम्र में उन्हें रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज़ का सामना करना होता है, यह फिर से उनके हार्मोन्स को बदलता है । मेनोपॉज होना नेचुरल है मतलब यह कोई बीमारी नहीं है ।
उस स्थिति को मेनोपॉज़ कहा जाता है जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है । इसे प्रजनन क्षमता का अंत माना जाता है । मेनोपॉज़ तब होता है, जब महिलाओं की ओवरी या अंडाशय में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हॉर्मोन बनने बंद हो जाते हैं । 10-12 महीनों से पीरियड्स का ना आना मेनोपॉज कहलाता है । मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कई तरह की परेशानी होने लगती हैं, जिससे महिलाओं की दिनचर्या प्रभावित होती है । कई बार मेनोपॉज से महिलाओं को गंभीर समस्या हो जाती है । ऐसा होने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए । साथ ही साथ मेनोपॉज के समय महिलाओं को कुछ परेशानियां हो सकती हैं । इसलिए उन्हें कुछ खास बातों का ध्यान भी रखना चाहिए ।
भारत में एवरेज उम्र मेनोपॉज़ की उम्र 45 से 48 साल तक के बीच की होती है, लेकिन बदलते लाइफस्टाइल ने उम्र की इस सीमा में भी बदलाव किए हैं । ऐसे में यह समझ पाना कि आप रजोनिवृत्ति की ओर तो नहीं बढ़ रही हैं पूरी तरह से इसके लक्षणों पर निर्भर करता है ।
एक शोध के अनुसार, समय से पहले मेनोपॉज़ महिला में स्तन कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है । आजकल बदलती लाइफस्टाइल या जीवनशैली के कारण मेनोपॉज़ कम उम्र में भी होने लगा है यानी 40 वर्ष से कम उम्र में होने लगा है जिसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज़ या प्रीमैच्योर ओवेरियन इनसफीसिएँसी बोलते है ये लगभग 15 परसेंट महिलाओं में देखने को आजकल मिल रहा है ।
समय से पहले मेनोपॉज़ के कारण है जैसे –
· ऑटो-इम्यून रोग - सिस्टमिक ल्यूपस एरीटामेटोसस, थायरॉइडाइटिस आदि विकार समय से पहले रजोनिवृत्ति का कारण बन सकते हैं ।
· कीमोथेरेपी , रेडियोथेरेपी - इन उपचारों के परिणामस्वरूप महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है, उनके गंभीर दुष्प्रभाव हैं और रजोनिवृत्ति उनमें से एक हो सकती है ।
· अंडाशय या गर्भाशय को हटाना - अंडाशय को हटाने और गर्भाशय को हटाने दोनों मासिक धर्म को समाप्त करते हैं और रजोनिवृत्ति का कारण बनते हैं ।
· पारिवारिक इतिहास - समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है अगर महिला के परिवार में कम उम्र में रजोनिवृत्ति का अनुभव करने का इतिहास है ।
· धूम्रपान - विषाक्त पदार्थों (तंबाकू) का सेवन एक कारण हो सकता है ।
· डायबिटीज - डायबिटिक महिलाएं समय से पहले मेनोपॉज का भी अनुभव कर सकती हैं ।
मेनोपॉज़ तीन स्टेज में देखने को मिलती है -
· पेरीमेनोपॉज़- मेनोपॉज़ के दो तीन साल पहले शुरू होता है जब होर्मोनेस धीरे धीरे कम होने लगते है जिसके वजह से शरीर में बदलाव आने लगते है ।
· मेनोपॉज़- जब एक साल तक पीरियड्स न आये ।
· पोस्ट मेनोपॉज़- बंद होने के बाद पोस्ट मेनोपॉज़ होता है मतलब चार पांच तक पोस्ट पोस्ट मेनोपॉज़ के लक्ष्ण बने रहते है ।
मेनोपॉज़ के लक्षण है जैसे मेंसेस इर्रेगुलारिटी , हॉट फ्लसेस , नाईट स्वेट , मूड स्विंग , वेट गेन , मेमोरी और कंसंट्रेशन कम होना , जोड़ो में दर्द , मसल मॉस कम होना , सामान्य तापमान में भी गर्मी लगना , नींद पूरी ना होना या नींद ना आना , चिड़चिड़ापन और चिंता होना , थकान , चक्कर आना , वजन का बढ़ना , यूरिन अधिक होना त्वचा का पतला होना और सिकुड़ना आदि और यदि इनमे से सब या दो तीन लक्षण भी दिखे मेंसेस इर्रेगुलारिटी के साथ तो आप समझिये की उस उम्र के साथ मेनोपॉज़ शुरू हो चुका है ज्यदा लक्षण दिखे या प्रॉब्लम हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।
मेनोपॉज के बाद इस तरह करें अपनी देखभाल – विटामिन डी और कैल्शियम का रेगुलर सेवन सही मात्रा में करें , रिलैक्स्ड रहे , संतुलित खान-पान , वजन का ध्यान रखिये , प्रोसेस्ड और तली-भुनी चीजों से बचें , सोने के एक घंटे पहले स्क्रीन न देखें , नशे से दूरी बनाए रखें , रोजाना कम से कम क्वालिटी आधा घंटा एक्सरसाइज करें , पूरी नींद लें , पानी खूब पिएं , मील को स्किप न करें , प्रोटीन रिच फूड का सेवन करें ।
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