Create Stories Storytelling: क्रिएट स्टोरीज के डाटर्स डे पर हुए वेबिनार में सुनाई प्रेरणास्पद कहानियां
डाटर्स डे के मौके पर क्रिएट स्टोरीज द्वारा स्टोरीटेलिंग कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया । आयोजक दीपक शर्मा ने बताया की इस कार्यक्रम का उद्देश्य असल ज़िन्दगी के किस्से साँझा करना था ताकि आज के समय में जो लोग छोटी छोटी बातों पर डिप्रेस हो जाते है वे उससे सामना करना सीखे । इस वेबिनार में इंदौर निवासियों की चार स्टोरीज में डॉ जनक पलटा , डॉ प्रीती शुक्ला , डॉ प्रियंका तिवारी और सीमा सोनी ने अपनी प्रेरणास्पद कहानी सुनाई ।
कहानी उन्ही की जुबानी -
मेरा नाम डॉ जनक पलटा है मैं एक समाजसेविका हूँ , मैं 72 की उम्र में आज भी इतनी बुलंद आवाज़ में इसलिए बोल पा रही हूँ क्यूंकि मेरे माता पिता ने वो सब करने दिया जो मैं अपनी ज़िन्दगी में करना चाहती थी । मैंने अपनी पढाई , नौकरी , शादी सब अपनी मर्जी से किया लेकिन सब माता पिता के आशीर्वाद के बाद ही । मैं बहुत भाग्यशाली हूँ क्यूंकि मुझे मेरे पेरेंट्स ने भाग्यशाली बनाया और उन्होंने मुझे जीवन में सिर्फ प्रोत्साहन और आशीर्वाद दिया , लेकिन उसका कारण था की मैंने अपनी ज़िन्दगी में कोई ऐसा काम नही किया जिससे मेरे पेरेंट्स की आत्मा को दर्द हो । उनकी सहमति और ख़ुशी के बाद ही मैं कोई काम करती थी उन्हें भरोसा दिला के । मेरा पेरेंट्स से यही कहना है की अपनी बेटियों को इतना शशक्त बनायें की उनका इमोशनल , फिजिकल , सोशल , स्पिरिचुअल और एनवायर्नमेंटल विकास हो ताकि वो अपनी ज़िन्दगी के फैसले ऐसे ले की उनको और उनके पेरेंट्स को सर न झुकाना पड़े । साथ ही पेरेंट्स ये भी ध्यान रखें की उनकें बेटे लडकियों के साथ अच्छे से रहें और उनकी रेस्पेक्ट करें ।
मेरा नाम डॉ प्रीती शुक्ला मैं एक नूट्रिशनिस्ट हूँ , जब मैं एक सरकारी कॉलेज में पढाई कर रही थी तब हमारी सहपाठी ही काफी एनीमियक थी और जब हम आंगनबाड़ी , सरकारी स्कूल , कॉलेज , बस्तियों , गावों में जाकर देखा तो पाया की लगभग 60 परसेंट बच्चियों में एनीमिया है यानी खून की कमी साथ ही कुपोषण , इसके बाद मैंने एनीमिया में ही अपनी पी एच डी की और फिर एक सफल आहार विशेषज्ञ बन पाई एवं इसके बाद मैंने इन बच्चियों के लिए काम करना चालू करा और आज इन जगहों पर काफी सुधार आ रहा है क्यूंकि मेरे अंदर एक जूनून था ये सब देखने के बाद एवं मेरे माता पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया एवं इन जगहों पर अकेले जाने से कभी नही रोका जिस काम आज मेरे में इतनी हिम्मत आई है । ज़िन्दगी में उतार चड़ाव तो काफी आये लेकिन मैंने कभी हिम्मत नही छोड़ी । आप सभी भी हमेशा अपने दिल की सुने जिस चीज़ में पैशन हो उसमे आगे बढे , भीड़ के पीछे ना भागे , सफलता हमारे अंदर होती है , बस ज़रुरत उसे पहचान लेने की है , आगे हम खुद बढ़ जायेंगे ।
मेरा नाम सीमा सोनी मैं पिछले 18 वर्षों से ब्यूटी कंसलटेंट हूँ , मुझे गर्व है सभी बेटियों पे जो खुद के बल पे किसी न किसी मुकाम पर पहुंची है । अगर मैं अपनी बात करूं तो मेरी शादी काफी जल्दी हो गयी थी और मैं काफी छोटी थी ज़िन्दगी में अच्छा बुरा समझने के लिए , लेकिन उस ज़िन्दगी से मुझे वापस आना पड़ा । सोसाइटी और आसपास के लोग आपको कई बार सपोर्ट नही करते आगे बढ़ने के लिए लेकिन वो कई बार आपके लिए स्ट्रेंथ बन जाती है इसलिए मैं उन सभी को धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने मुझे सपोर्ट नही किआ और डीमोटीवेट किया क्यूंकि मैं आज मैं जो भी हूँ उन सब के कारण हूँ और 18 सालों से एक सफल उद्यमी हूँ । मैंने जो देखा है मैं नही चाहती कोई और देखे इसलिए मैं आज जो काफी ज़रूरतमंद लड़कियां होती है और कुछ करने की चाह रखती है मैं खुद उनको ट्रेनिंग देकर ब्यूटी कोर्स कराकर उनके पैरों पर खड़ा करने का प्रयास करती हूँ , क्यूंकि लड़कियां जब ठान लेती है की उन्हें कुछ करना है तो वे कर दिखाती है । आप लड़कियां है तो ये गाँठ बाँध ले की ज़िन्दगी में आपको तकलीफें आएँगी लेकिन उनसे आप घबराये नही हंस हर उसका सामना करें । मैं हमेशा मुस्कराती हूँ , मेरी ताकत और हिम्मत है मेरा मुस्कराना । ज़िन्दगी में तकलीफे आये तो उदास न होना , क्यूंकि कठिन रोल अच्छे एक्टर को ही दिए जाते हैं, बस हिम्मत रखनी पड़ती हैं ।
मेरा नाम डॉ प्रियंका तिवारी मैं एक फिजियोथेरेपिस्ट हूँ और अपनी ज़िन्दगी की बात करूं तो जब मैं काफी छोटी थी तब हमारी घर की फाइनेंसियल कंडीशन ठीक नही थी लेकिन मेरे पिता ने कभी पढाई या मेरी ज़रुरत में कमी नही आने दी लेकिन सोसाइटी ने हमे इगनोरे किया , लोग हमारे घर रुकने नही आते थे इगनोरे किया करते थे , बच्चों के बचपन में काफी दोस्त होते थे लेकिन हमारे एरिया के बच्चो हमसे दूर भागते थे क्यूंकि हमारा स्टेटस उन जैसा नही था । मेरी माँ घर में स्ट्रगल करती थी और पापा बाहर । पेरेंट्स मुस्कराते थे ताकि मैं मुस्कराऊ । आज सब कुछ है लेकिन लेकिन मैंने डाउन टू अर्थ रहना सीखा , कॉन्फिडेंस रहना , सपनों को जीना सीखा क्यूंकि मैंने कभी गिव अप नही किया क्यूंकि जब लोग हमे तोडना चाहते थे तब हमारे पेरेंट्स हमारा मोरल वैल्यू बढाते थे | मेरे पिता ने मुझे मेरी राह पर चलने दिया सपोर्ट किया । मेरा आज के बच्चो से यही कहना है की अगर हमे कुछ पाना है तो हमे अपने कम्फर्ट को छोड़ना पड़ेगा एवं कुछ समय बाद जब हम वो पा लेंगे जो हमे चाहिए वो कम्फर्ट हमे वापस मिल जयेगा और अच्छी तरीके से और अपनी मेहनत से हमेशा दिल की सुने और सामना करना सीखे और अपने आप को पहचाने ।
कहानी उन्ही की जुबानी -
मेरा नाम डॉ जनक पलटा है मैं एक समाजसेविका हूँ , मैं 72 की उम्र में आज भी इतनी बुलंद आवाज़ में इसलिए बोल पा रही हूँ क्यूंकि मेरे माता पिता ने वो सब करने दिया जो मैं अपनी ज़िन्दगी में करना चाहती थी । मैंने अपनी पढाई , नौकरी , शादी सब अपनी मर्जी से किया लेकिन सब माता पिता के आशीर्वाद के बाद ही । मैं बहुत भाग्यशाली हूँ क्यूंकि मुझे मेरे पेरेंट्स ने भाग्यशाली बनाया और उन्होंने मुझे जीवन में सिर्फ प्रोत्साहन और आशीर्वाद दिया , लेकिन उसका कारण था की मैंने अपनी ज़िन्दगी में कोई ऐसा काम नही किया जिससे मेरे पेरेंट्स की आत्मा को दर्द हो । उनकी सहमति और ख़ुशी के बाद ही मैं कोई काम करती थी उन्हें भरोसा दिला के । मेरा पेरेंट्स से यही कहना है की अपनी बेटियों को इतना शशक्त बनायें की उनका इमोशनल , फिजिकल , सोशल , स्पिरिचुअल और एनवायर्नमेंटल विकास हो ताकि वो अपनी ज़िन्दगी के फैसले ऐसे ले की उनको और उनके पेरेंट्स को सर न झुकाना पड़े । साथ ही पेरेंट्स ये भी ध्यान रखें की उनकें बेटे लडकियों के साथ अच्छे से रहें और उनकी रेस्पेक्ट करें ।
मेरा नाम डॉ प्रीती शुक्ला मैं एक नूट्रिशनिस्ट हूँ , जब मैं एक सरकारी कॉलेज में पढाई कर रही थी तब हमारी सहपाठी ही काफी एनीमियक थी और जब हम आंगनबाड़ी , सरकारी स्कूल , कॉलेज , बस्तियों , गावों में जाकर देखा तो पाया की लगभग 60 परसेंट बच्चियों में एनीमिया है यानी खून की कमी साथ ही कुपोषण , इसके बाद मैंने एनीमिया में ही अपनी पी एच डी की और फिर एक सफल आहार विशेषज्ञ बन पाई एवं इसके बाद मैंने इन बच्चियों के लिए काम करना चालू करा और आज इन जगहों पर काफी सुधार आ रहा है क्यूंकि मेरे अंदर एक जूनून था ये सब देखने के बाद एवं मेरे माता पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया एवं इन जगहों पर अकेले जाने से कभी नही रोका जिस काम आज मेरे में इतनी हिम्मत आई है । ज़िन्दगी में उतार चड़ाव तो काफी आये लेकिन मैंने कभी हिम्मत नही छोड़ी । आप सभी भी हमेशा अपने दिल की सुने जिस चीज़ में पैशन हो उसमे आगे बढे , भीड़ के पीछे ना भागे , सफलता हमारे अंदर होती है , बस ज़रुरत उसे पहचान लेने की है , आगे हम खुद बढ़ जायेंगे ।
मेरा नाम सीमा सोनी मैं पिछले 18 वर्षों से ब्यूटी कंसलटेंट हूँ , मुझे गर्व है सभी बेटियों पे जो खुद के बल पे किसी न किसी मुकाम पर पहुंची है । अगर मैं अपनी बात करूं तो मेरी शादी काफी जल्दी हो गयी थी और मैं काफी छोटी थी ज़िन्दगी में अच्छा बुरा समझने के लिए , लेकिन उस ज़िन्दगी से मुझे वापस आना पड़ा । सोसाइटी और आसपास के लोग आपको कई बार सपोर्ट नही करते आगे बढ़ने के लिए लेकिन वो कई बार आपके लिए स्ट्रेंथ बन जाती है इसलिए मैं उन सभी को धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने मुझे सपोर्ट नही किआ और डीमोटीवेट किया क्यूंकि मैं आज मैं जो भी हूँ उन सब के कारण हूँ और 18 सालों से एक सफल उद्यमी हूँ । मैंने जो देखा है मैं नही चाहती कोई और देखे इसलिए मैं आज जो काफी ज़रूरतमंद लड़कियां होती है और कुछ करने की चाह रखती है मैं खुद उनको ट्रेनिंग देकर ब्यूटी कोर्स कराकर उनके पैरों पर खड़ा करने का प्रयास करती हूँ , क्यूंकि लड़कियां जब ठान लेती है की उन्हें कुछ करना है तो वे कर दिखाती है । आप लड़कियां है तो ये गाँठ बाँध ले की ज़िन्दगी में आपको तकलीफें आएँगी लेकिन उनसे आप घबराये नही हंस हर उसका सामना करें । मैं हमेशा मुस्कराती हूँ , मेरी ताकत और हिम्मत है मेरा मुस्कराना । ज़िन्दगी में तकलीफे आये तो उदास न होना , क्यूंकि कठिन रोल अच्छे एक्टर को ही दिए जाते हैं, बस हिम्मत रखनी पड़ती हैं ।
मेरा नाम डॉ प्रियंका तिवारी मैं एक फिजियोथेरेपिस्ट हूँ और अपनी ज़िन्दगी की बात करूं तो जब मैं काफी छोटी थी तब हमारी घर की फाइनेंसियल कंडीशन ठीक नही थी लेकिन मेरे पिता ने कभी पढाई या मेरी ज़रुरत में कमी नही आने दी लेकिन सोसाइटी ने हमे इगनोरे किया , लोग हमारे घर रुकने नही आते थे इगनोरे किया करते थे , बच्चों के बचपन में काफी दोस्त होते थे लेकिन हमारे एरिया के बच्चो हमसे दूर भागते थे क्यूंकि हमारा स्टेटस उन जैसा नही था । मेरी माँ घर में स्ट्रगल करती थी और पापा बाहर । पेरेंट्स मुस्कराते थे ताकि मैं मुस्कराऊ । आज सब कुछ है लेकिन लेकिन मैंने डाउन टू अर्थ रहना सीखा , कॉन्फिडेंस रहना , सपनों को जीना सीखा क्यूंकि मैंने कभी गिव अप नही किया क्यूंकि जब लोग हमे तोडना चाहते थे तब हमारे पेरेंट्स हमारा मोरल वैल्यू बढाते थे | मेरे पिता ने मुझे मेरी राह पर चलने दिया सपोर्ट किया । मेरा आज के बच्चो से यही कहना है की अगर हमे कुछ पाना है तो हमे अपने कम्फर्ट को छोड़ना पड़ेगा एवं कुछ समय बाद जब हम वो पा लेंगे जो हमे चाहिए वो कम्फर्ट हमे वापस मिल जयेगा और अच्छी तरीके से और अपनी मेहनत से हमेशा दिल की सुने और सामना करना सीखे और अपने आप को पहचाने ।
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